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Sufinama

पहला दर्जा इल्म है। इल्म हासिल करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना इल्म के अमल सही नहीं हो सकता।

क़ाज़ी हमीदुद्दीन नागौरी

पहला दर्जा इल्म है। इल्म हासिल करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना इल्म के अमल सही नहीं हो सकता।

क़ाज़ी हमीदुद्दीन नागौरी

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    पहला दर्जा इल्म है। इल्म हासिल करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना इल्म के अमल सही नहीं हो सकता।

    दूसरा दर्जा अमल है, क्योंकि बिना अमल के नीयत का कोई वजूद नहीं होता।

    तीसरा दर्जा नीयत है। नीयत सही होनी चाहिए, क्योंकि ग़लत नीयत से किए गए सारे अमल बेकार होते हैं।

    चौथा दर्जा सिद्क़ है। सच्चाई का होना ज़रूरी है, क्योंकि इस के बिना इश्क़ पैदा नहीं होता।

    पाँचवाँ दर्जा इश्क़ है, इश्क़ इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसके बिना तवज्जोह नहीं होती।

    छठा दर्जा तवज्जोह है। यह ज़रूरी है, क्योंकि इसके बिना सुलूक पूरा नहीं हो सकता।

    सातवाँ दर्जा सुलूक है, ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसके बिना ख़ुदा की बारगाह का दरवाज़ा नहीं खुलता।

    आठवाँ दर्जा पेश-गाह (ईश्वर की बारगाह) का खुलना है, ताकि असली मक़सद यानी ख़ुदा की पहचान सामने सके।

    स्रोत :
    • पुस्तक : उसूल-उल-तरीक़ा (पृष्ठ 00)

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