क़ाज़ी हमीदुद्दीन नागौरी के मल्फ़ूज़ात
पहला दर्जा इल्म है। इल्म हासिल करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना इल्म के अमल सही नहीं हो सकता।
पहला दर्जा इल्म है। इल्म हासिल करना ज़रूरी है, क्योंकि बिना इल्म के अमल सही नहीं हो सकता। दूसरा दर्जा अमल है, क्योंकि बिना अमल के नीयत का कोई वजूद नहीं होता। तीसरा दर्जा नीयत है। नीयत सही होनी चाहिए, क्योंकि ग़लत नीयत से किए गए सारे अमल बेकार होते
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere