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बेदम शाह वारसी के अशआर
मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों पर
दम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
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टैग : क़ातिल
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साग़र की आरज़ू है न पैमाना चाहिए
बस इक निगाह-ए-मुर्शिद-ए-मयख़ाना चाहिए
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टैग : आरज़ू
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मुझी को देख लें अब तेरे देखने वाले
तू आईना है मिरा तेरा आईना हूँ मैं
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टैग : आईना
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न तो अपने घर में क़रार है न तिरी गली में क़याम है
तिरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ का फ़रेफ़्तः कहीं सुब्ह है कहीं शाम है
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टैग : घर
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कैसे कह दूँ कि ग़ैर से मिलिए
अन-कही तो कही नहीं जाती
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टैग : ग़ैर
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शिकव: है कुफ़्र अहल-ए-मोहब्बत के वास्ते
हर इक जफ़ा-ए-दोस्त पे शुक्रानः चाहिए
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टैग : जफ़ा
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नहीं थमते नहीं थमते मिरे आँसू 'बेदम'
राज़-ए-दिल उन पे हुआ जाता है इफ़्शा देखो
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टैग : आँसू
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सितमगर तुझ से उम्मीद-ए-करम होगी जिन्हें होगी
हमें तो देखना ये था कि तू ज़ालिम कहाँ तक है
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टैग : उम्मीद
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इ’श्क़ की इब्तिदा भी तुम हुस्न की इंतिहा भी तुम
रहने दो राज़ खुल गया बंदे भी तुम ख़ुदा भी तुम
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टैग : ख़ुदा
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मेरे नाले सुन के फ़रमाते हैं वो
ये उसी की दुख-भरी आवाज़ है
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टैग : आवाज़
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हम रंज भी पाने पर मम्नून ही होते हैं
हम से तो नहीं मुमकिन एहसान-फ़रामोशी
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टैग : एहसान
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ख़ंजर कैसा फ़क़त अदा से
तड़पा तड़पा के मार डाला
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टैग : अदा
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होश न था बे-होशी थी बे-होशी में फिर होश कहाँ
याद रही ख़ामोशी थी जो भूल गए अफ़्साना था
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टैग : ख़ामोशी
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सदक़े ऐ क़ातिल तिरे मुझ तिश्ना-ए-दीदार की
तिश्नगी जाती रही आब-ए-दम-ए-शमशीर से
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टैग : क़ातिल
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आ'शिक़ न हो तो हुस्न का घर बे-चराग़ है
लैला को क़ैस शम्अ' को पर्वान: चाहिए
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टैग : चराग़
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उफ़-रे बाद-ए-जोश-ए-जवानी आँख न उन की उठती थी
मस्ताना हर एक अदा थी हर इ’श्वा मस्ताना था
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टैग : अदा
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इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इश्क़
आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
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टैग : इश्क़
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न क़ुर्ब-ए-गुल की ताब थी न हिज्र-ए-गुल में चैन था
चमन चमन फिरे हम अपना आशियाँ लिए हुए
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हल्की सी इक ख़राश है क़ासिद के हलक़ पर
ये ख़त जवाब-ए-ख़त है कि ख़त की रसीद है
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टैग : ख़त
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ऐ चश्म-ए-तमन्ना तिरी उम्मीद बर आए
उठता है नक़ाब-ए-रुख़-ए-जानाना मुबारक
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टैग : उम्मीद
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इ’श्क़ अदा-नवाज़-ए-हुस्न हुस्न करिश्मा-साज़-ए-इ’श्क़
आज से क्या अज़ल से है हुस्न से साज़-बाज़-ए-इ’श्क़
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टैग : अदा
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गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने
दस्त-ए-जुनूँ लगे मिरे कपड़े उतारने
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टैग : गुल
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इसे भी नावक-ए-जानाँ तू अपने साथ लेता जा
कि मेरी आरज़ू दिल से निकलने को तरसती है
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टैग : आरज़ू
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मुझी से पूछते हो मैं ही बतला दूं कि तुम क्या हो
तजल्ली तूर-ए-सीना की मेरे घर का उजाला हो
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टैग : घर
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'बेदम' तुम्हारी आँखें हैं क्या अर्श का चराग़
रौशन किया है नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-यार ने
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टैग : चराग़
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मुंतज़िर है आपके जल्वे की नर्गिस बाग़ में
गुल गरेबाँ-चाक शबनम इक तरफ़ नम-दीदा है
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टैग : गुल
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वो सर और ग़ैर के दर पर झुके तौबा मआ'ज़-अल्लाह
कि जिस सर की रसाई तेरे संग-ए-आस्ताँ तक है
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टैग : ग़ैर
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कल ग़ैर के धोके में वो ई’द मिले हम से
खोली भी तो दुश्मन ने तक़दीर-ए-हम-आग़ोशी
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टैग : ईद
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सजा कर लख़्त-ए-दिल से कश्ती-ए-चश्म-ए-तमन्ना को
चला हूँ बारगाह-ए-इ’श्क़ में ले कर ये नज़्राना
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टैग : कश्ती
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ग़ैर का शिकवा क्यूँकर रहता दिल में जब उम्मीदें थीं
अपना फिर भी अपना था बेगाना फिर बेगाना था
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टैग : ग़ैर
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ज़मीं से आसमाँ तक आसमाँ से ला-मकाँ तक है
ख़ुदा जाने हमारे इ’श्क़ की दुनिया कहाँ तक है
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टैग : आसमान
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असरार-ए-मोहब्बत का इज़हार है ना-मुम्किन
टूटा है न टूटेगा क़ुफ़्ल-ए-दर-ए-ख़ामोशी
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टैग : इज़हार
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कुछ न हो ऐ इंक़िलाब-ए-आसमाँ इतना तो हो
ग़ैर की क़िस्मत बदल जाए मेरी तक़दीर से
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टैग : क़िस्मत
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तुम ख़फ़ा हो तो अच्छा ख़फ़ा हो
ऐ बुतो क्या किसी के ख़ुदा हो
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टैग : ख़ुदा
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बुलबुल को मुबारक हो हवा-ए-गुल-ओ-गुलशन
परवाने को सोज़-ए-दिल-ए-परवानः मुबारक
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टैग : गुल
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मिरा सर कट के मक़्तल में गिरे क़ातिल के क़दमों पर
दम-ए-आख़िर अदा यूँ सज्दा-ए-शुकराना हो जाए
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टैग : अदा
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कजी मेरी क़िस्मत की फिर देखना
ज़री अपनी तिरछी नज़र देखिये
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टैग : क़िस्मत
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क़फ़स में भी वही ख़्वाब-ए-परेशाँ देखता हूँ मैं
कि जैसे बिजलियों की रौ फ़लक से आशियाँ तक है
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टैग : ख़्वाब
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मैं ग़श में हूँ मुझे इतना नहीं होश
तसव्वुर है तिरा या तू हम-आग़ोश
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टैग : आग़ोश
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कुछ रहा भी है बीमार-ए-ग़म में
अब दवा हो तो किस की दवा हो
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टैग : ग़म
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इ’श्क़ के आसार हैं फिर ग़श मुझे आया देखो
फिर कोई रौज़न-ए-दीवार से झाँका देखो
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टैग : इश्क़
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उस के होते ख़ुदी से पाक हूँ मैं
ख़ूब है बे-ख़ुदी नहीं जाती
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टैग : ख़ुदी
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कल ग़ैर के धोके में वो ई'द मिले हम से
खोली भी तो दुश्मन ने तक़दीर-ए-हम-आग़ोशी
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टैग : ग़ैर
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उस सियह-बख़्त की रातें भी कोई रातें हैं
ख़्वाब-ए-राहत भी जिसे ख़्वाब-ए-परेशाँ हो जाए
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टैग : ख़्वाब
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दाग़-ए-दिल सीने में आहों से नुमायाँ करना
हम से सीखे शब-ए-ग़म कोई चराग़ाँ करना
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टैग : ग़म
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ग़ैर ही क्या बे-रुख़ी से आप की
आज 'बेदम' भी बहुत बे-दिल गया
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टैग : ग़ैर
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हल्की सी इक ख़राश है क़ासिद के हलक़ पर
ये ख़त जवाब-ए-ख़त है कि ख़त की रसीद है
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टैग : क़ासिद
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आ’शिक़ न हो तो हुस्न का घर बे-चराग़ है
लैला को क़ैस शम्अ' को परवाना चाहिए
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टैग : आ’शिक़
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गर क़ुल्ज़ुम-ए-इ’श्क़ है बे-साहिल ऐ ख़िज़्र तो बे-साहिल ही सही
जिस मौज में डूबे कश्ती-ए-दिल उस मौज को तू साहिल कर दे
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टैग : कश्ती
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कोई मर कर तो देखे इम्तिहाँ-गाह-ए-मोहब्बत में
कि ज़ेर-ए-ख़ंजर-ए-क़ातिल हयात-ए-जावेदाँ तक है
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टैग : क़ातिल
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