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रज़ा वारसी

1859 - 1954 | कोलकाता, भारत

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और मस्त-हाल बुज़ुर्ग

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और मस्त-हाल बुज़ुर्ग

रज़ा वारसी के अशआर

दिल वही दिल है जो अल्लाह का जल्वा देखे

आँख वो आँख जो क़ुदरत का तमाशा देखे

ये भी इक डर है कहीं रुस्वा हो क़ातिल मिरा

हश्र में ख़ून-ए-तमन्ना का अगर दा'वा करूँ

जिस की हसरत है मुझे मिलता नहीं वो माह-रू

फ़लक हूरान-ए-जन्नत ले के आख़िर क्या करूँ

जी में आता है बुत-ए-काफ़िर तिरी पूजा करूँ

आईना तुझ को बनाऊँ और मैं देखा करूँ

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