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रसखान

1548 - 1628 | वृन्दावन, भारत

एक ऐसे मुसलमान शाइ’र जो भगवान कृष्ण के पैरोकार थे, आपने शंकर, गंगा और होली के त्यौहार पर भी नज़्में लिखी हैं

एक ऐसे मुसलमान शाइ’र जो भगवान कृष्ण के पैरोकार थे, आपने शंकर, गंगा और होली के त्यौहार पर भी नज़्में लिखी हैं

रसखान के दोहे

मुस्कान माधुरी - सजनी लोनो लला लखै नंद के गेह

चितयौ मृदु मुस्काइ कै हरी सबै सुधि देह

कहा करै 'रसखानि' को कोऊ चुगुल लबार

जो पै राखनहार है माखन चाखनहार

भक्ति-भावना - सरस नेह लवलीन वन द्वै सुजान 'रसखानि'

ताके आस बिसास सो पगे प्रान 'रसखानि'

भक्ति-भावना - बिमल सरल 'रसखानि' भई सकल 'रसखानि'

सोई नाव 'रसखानि' को चित चातक 'रसखानि'

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