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Sufinama
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कौसर वारसी

रामपुर, भारत

कौसर वारसी के अशआर

दिल दिया जान दी ख़ुदा तू ने

तेरा एहसान एक हो तो कहूँ

ग़ैर जब तक निकल जाएगा महफ़िल से तिरी

हम रखेंगे तिरी बज़्म में ज़िन्हार क़दम

ब-ख़ुदा क़ब्र की हो जाएगी मुश्किल आसाँ

साथ लाशा के चलेंगे जो वो दो-चार क़दम

झूटे वा'दे तू रोज़ करता है

तेरा ईमान एक हो तो कहूँ

मैं ख़फ़ा हो के जब उठा तो वो बोले 'कौसर'

फ़ित्नः-ए-हश्र ने चूमे दम-ए-रफ़्तार क़दम

दिल दिया जान दी ख़ुदा तू ने

तेरा एहसान एक हो तो कहूँ

पूछते हैं वो आरज़ू 'कौसर'

दिल में अरमाँ एक हो तो कहूँ

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