Sufinama
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इमाम बख़्श नासिख़

1772 - 1838

दबिस्तान-ए-लखनऊ के मुम्ताज़ शाइ’र

दबिस्तान-ए-लखनऊ के मुम्ताज़ शाइ’र

इमाम बख़्श नासिख़ का परिचय

उपनाम : 'नासिख़'

मूल नाम : इमाम बख़्श

जन्म : 01 Apr 1772 | फ़ैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश

निधन : 01 Aug 1838

शैख़ इमाम बख़्श की पैदाइश 10 अप्रैल 1772 ई’स्वी को फ़ैज़ाबाद में हुई और वहीं प चढ़े। उनके वालिद का नाम शैख़ ख़ुदा-बख़्श लाहौरी था। वर्ज़िश का शौक़ था। उन्होंने शादी नहीं की। मुहम्मद हुसैन आज़ाद के ब-क़ौल “नासिख़ को तीन ही शौक़ थे, खाना, वर्ज़िश करना और शाइ’री करना और ये तीनों शौक़ जुनून की हद तक थे।” फ़ैज़ाबाद के एक अमीर मुहम्मद तक़ी को ऐसे बाँकों की सरपरस्ती का शौक़ था लिहाज़ा मुहम्मद तक़ी ने उनको मुलाज़िम रख लिया और नासिख़ उनके साथ लखनऊ आ गए। एक रईस मीर काज़िम अ’ली से मुंसलिक हो गए जिन्हों ने नासिख़ को अपना बेटा बना लिया। उनके इंतिक़ाल पर अच्छी ख़ासी दौलत नासिख़ के हाथ आई। उन्होंने लखनऊ में बूद-ओ-बाश इख़्तियार कर ली और ज़िंदगी फ़राग़त से बसर की। नासिख़ किसी के बाक़ाइ’दा शागिर्द नहीं थे। उन्हें लखनऊ के अव्वलीन शो’रा में शुमार किया जाता है। नासिख़ ने ज़्यादा-तर ग़ज़लें ही कही हैं। उन्हों ने एक मस्नवी भी लिखी है और बहुत सारे क़ित्आ’त-ए-तारीख़ भी लिखी हैं। लफ़्ज़ों की सेहत और उसूल-ए-शाइ’री का बहुत ख़याल करते थे। 16 अगस्त 1838 ई’स्वी को लखनऊ में उन का इंतिक़ाल हुआ।


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