Sufinama
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ग़ुलाम मोईनुद्दीन गिलानी

1920 - 1997

ग़ुलाम मोईनुद्दीन गिलानी

वीडियो 17

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अस्सलाम ऐ फ़ख़्र-ए-इंसाँ अस्सलाम

हाजी महबूब अ'ली

आरज़ू-ए-वस्ल-ए-जानाँ में सहर होने लगी

हाजी महबूब अ'ली

ओ सनम तेरे न आने की क़सम खाता हूँ मैं

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

क्यूँ परेशाँ है तबी'अत आज-कल

हाजी महबूब अ'ली

क्या से क्या दो दिन में हालत हो गई

हाजी महबूब अ'ली

कीजिए लुत्फ़-ओ-करम ऐ जान-ए-मन

हाजी महबूब अ'ली

जिस के फँदे में फँसा है दिल हमारा आज-कल

हाजी महबूब अ'ली

दिल-ए-बे-मुद्दआ' है मैं नहीं हूँ

अज्ञात

नहीं ज़ख़्म-ए-दिल अब दिखाने के क़ाबिल

हाजी महबूब अ'ली

मजबूर हूँ लाचार हूँ ऐ जान-ए-तमन्ना

हाजी महबूब अ'ली

मुझ को तो तुझ से प्यार है प्यारे

हाजी महबूब अ'ली

मिरा चाहना देख क्या चाहता हूँ

हाजी महबूब अ'ली

ये कहाँ थी मेरी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

हाजी महबूब अ'ली

रात सारी जनाब ख़ूब रही

हाजी महबूब अ'ली

वक़्त-ए-रुख़्सत क्या हुआ कुछ याद है

हाजी महबूब अ'ली

सूरत-ए-इंसान-ए-कामिल रा निशाँ मौला-ए-रूम

हाजी महबूब अ'ली

हर जौर-ओ-सितम जिस को गवारा नहीं होता

हाजी महबूब अ'ली

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