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Sufinama
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बेख़ुद सुहरावरदी

1935 - 2008

बेख़ुद सुहरावरदी के अशआर

‘अयाज़’ इक बेश-क़ीमत सा तुझे नुक्ता बताता हूँ

तुम अपने आपको समझो ख़ुदा क्या है ख़ुदा जाने

ज़िंदगी को बेच डाला बे-ख़ुदी के जाम पर

एक ही साग़र से दिल की तिश्नगी जाती रही

ख़ुशी से चोट खाने का मज़ा या कैफ़-ए-जाँ-सोज़ी

कोई जाँ-सोज़ परवाना या कोई दिल-जला जाने

रिंद हूँ ब-ख़ुदा मगर ‘बेख़ुद’ हूँ बे-ख़ुदा नहीं

तुम ही मेरे हो पेशवा या’नी कि ना-ख़ुदा भी तुम

लबों पर नाम ना आँसू हिकायत ना शिकायत हो

असीर-ए-ज़ुल्फ़ दीवाना है दीवाना ये क्या जाने

लबों पर नाम ना आँसू हिकायत ना शिकायत हो

असीर-ए-ज़ुल्फ़ दीवाना है दीवाना ये क्या जाने

जब तक एक हसीं मकीं था दिल में हर-सू फूल खिले थे

वो उजड़ा तो गुलशन उजड़ा और हुआ आबाद नहीं है

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