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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गुफ़्तार दर बाज़ जुस्तन-ए-दिल
ख़़ाक-ए-तब आरिन्द: ब-ताबूत बख़्शआतिश-ए-ताबिंद: ब-याक़ूत बख़्श
निज़ामी गंजवी
अरिल्ल
अलह इमान लगाय सितून बढ़ाइया
अलह इमान लगाय सितून बढ़ाइयारफ़्त सिफ़त की बातें इलम लखाइया
गुलाल साहेब
फ़ारसी कलाम
कामे ज़े लब ब-बख़्श कि उ’श्शाक़-ए-खस्त: रासद ख़ार ख़ार दर जिगर उफ़्तादःजाँ रुतब
मुल्ला जामी
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ बे-ख़बर ब-कोश कि साहब ख़बर शवी
ख़्वाब-ओ-ख़ुरत ज़े-मर्तब:-ए-ख़्वेश दूर कर्दअंगह रसी बख़्श कि बे-ख़्वाब-ओ-ख़ुर शवी
हाफ़िज़
ग़ज़ल
सुनने वालों के दिलों को बख़्श दे नूर-ए-यक़ीनमेरे क़िस्से में तुम्हारी रौशनी ऐसी तो हो
सादिक़ देहलवी
मनक़बत-ना'त
जिसे देखा मोहब्बत बख़्श दी तक़दीर चमका दीवो ले कर रू-ए-ज़ेबा जल्वः-ए-अर्श-ए-बरीं आए
हैरत शाह वारसी
नज़्म
मदीह-ए-ख़ैरुल-मुरसलीन
दूर पहुँची लब-ए-जाँ-बख़्श नबी की शोहरतसुन ज़रा कहते हैं क्या हज़रत-ए-ईसा बादल
मोहसिन काकोरवी
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ईं क़सीदः हम नतीजः-ए-आँ-ख़ाक-ए-पाक सर्खस़ अस्त
सिदक़-ए-मा रा सुब्ह-ए-काज़िब सोख़्त मा रा सिदक़ बख़्शपा-ए-मा दर तीन-ए-लाज़िब मानद मा रा दस्त-गीर
हकीम सनाई
दकनी सूफ़ी काव्य
दुर्रूल-मजालिस
क़ुबूलिया रब पयम्बर की ज़बानीकरूँगा बख़्श ज़ाहिर सब निहानी
अब्दुल्ला हाशमी
ग़ज़ल
मिस्कीन ज़ुल्फ़ तेरे कूँ ऐ ग़ैरत-ए-ख़ुतनमार-ए-सियह कहूँ कि क़ैद या कमंद-ए-दग़ा कहूँ
क़ादिर बाख़्श बेदिल
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
नसीम-ए-सुब्ह-ए-सआ'दत बदाँ निशाँ कि तू दानी
ब-गो कि जान-ए-ज़ई'फ़म ज़े दस्त रफ़्त ख़ुदाराज़े ला'ल-ए-रूह-फ़ज़ायत ब-बख़श अज़ आँ कि तू दानी
हाफ़िज़
ग़ज़ल
ग़ुलाम उन का हूँ फिर क्यूँ-कर न मुझ को बख़्श देते वोवो किन आँखों से बैठे मेरी ज़िल्लत देखते रहते
शाह नूरुलहक़ तपाँ
शबद
भेद का अंग - झरि लागै महलिया गगन घहराय
खन गरजै खन बिजुली चमकैलहर उठै सोभा बरनि न जाय