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मनक़बत-ना'त
अमीर मीनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-कू-ए-मय-कद: हर सालिके कि रह दानिस्त
ज़माना अफ़सर-ए-रिंदी न-दाद जुज़ ब-कसेकि सरफ़राज़ी-ए-आ'लम दरी कुलह दानिस्त
हाफ़िज़
ख़ालिक़ बारी
ख़ालिक़-बारी
देहीम-ओ-ताज-ओ-अफ़सर दर हिन्दवी मुकटज़ाग़-ए-बुरीदः पर रा तू जान काग कट
अमीर ख़ुसरौ
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इमरोज़ शाह-ए-अंजुमन-ए-दिल-बराँ यकीस्त
सौदाइयान-ए-आ'लम-ए-पिनदार रा ब-गोसरमाय: कम कुनेद कि सूद-ओ-ज़ियाँ यकीस्त
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-ईसा पैग़म्बर अलैहिस-सलाम
ऐब-ए-कसाँ म-निगर-ओ-एहसान-ए-ख़्वेशदीद: फ़रव कुन ब-गरेबान-ए-ख़्वेश
निज़ामी गंजवी
फ़ारसी कलाम
हदिय:-ए-ज़ुल्फ़-ए-तू गर मुल्क-ए-दो-आ'लम ब-देहन्दया'लमुल्लाह सर-ए-मूए ख़रीदन न-देहम
बू अली शाह क़लन्दर
पद
ख़ालिक़ को देखो ख़िल्क़त में हो किस किस तौर में आया है
कहीं मूसा हो कहीं फ़िरऔं हो कहीं क़ारूँ का सरमाया है'दिलदार' ने हर शै के अंदर दिलदार को अपने पाया है
संत कवि दिलदार
ग़ज़ल
क्या समझ कर शम-ए’-रू-ए-यार पर तुम ने 'जिगर'सूरत-ए-परवाना दिल क़ुर्बान अपना कर दिया
जिगर सिद्दीक़ी वारसी
ग़ज़ल
रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गएदो दिन की मसर्रत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
साग़र सिद्दीक़ी
फ़ारसी कलाम
ऐ सरापा-ए-तू दिलकश ऐ अदाहा-ए-तू शोख़ज़ुल्फ़-ए-हिन्दू-ए-तू सरकश चश्म-ए-शह्ला-ए-तू शोख़
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ नसीम-ए-सहर आराम-गह-ए-यार कुजास्त
ऐ नसीम-ए-सहर आराम-गह-ए-यार कुजास्तमंज़िल-ए-आँ मह-ए-आशिक़ कुश-ए-अ'य्यार कुजास्त
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ बाद-ए-मुश्क-बू ब-गुज़ार सू-ए-आँ-निगार
ऐ बाद-ए-मुश्क-बू ब-गुज़ार सू-ए-आँ-निगारब-कुशा गिरह ज़े-ज़ुल्फ़श व बू-ए-ब-मन बयार
हाफ़िज़
फ़ारसी कलाम
ऐ तालिब-ए-फ़िरदौस ब-रौ सू-ए-मोहम्मदचूँ ख़ुल्द-ए-बरीं आमदः दर कू-ए-मोहम्मद