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गूजरी सूफ़ी काव्य
है सालिक-ए-राह-ए-ख़ुदा संग-ए-रेज़ा सी अव्वल सबक़
है सालिक-ए-राह-ए-ख़ुदा संग-ए-रेज़ा सी अव्वल सबक़पर तूँ शिकस्त नफ़्स का होत शिकस्ता बहर-ए-हक़
सय्यद पीर मोहम्मद अक़दस
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हर नक़्श रा कि दीदी जिन्स-अश ज़े-ला-मकानस्त
हर नक़्श रा कि दीदी जिन्स-अश ज़े-ला-मकानस्तगर नक़्श रफ़्त ग़म नीस्त अस्लश चु जावेदानस्त
मौलाना रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
क़ाएदः - ज़े-तू हर फ़े'ल कि अव्वल गश्त ज़ाहिर
ब-बीनी बे-जहत हक़ रा तआ'लाकुनद अज़ नूर-ए-हक़ बर तू तजल्ला
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
अया माँदः बे-मोजिब हर मुरादे
तु गर राह-ए-हक़ रा हमी जोई अव्वलतलब कर्द: बाशद सबीलुर-रिशादे
हकीम सनाई
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ग़ज़ल
मय-कदे में पी के मय अव्वल तो चुप रहना पड़ाबात जब निकली तो साक़ी को ख़ुदा कहना पड़ा
मुज़्तर ख़ैराबादी
दकनी सूफ़ी काव्य
क़िस्सा रूह-अफ़्ज़ा और रिज़वान-शाह
अव्वल नाम हक़ का ले बोलूँ सुख़नबूँद उस की तौहीद खोलूँ सुख़न
फायज
पद
अव्वल मंज़िल है तालिब के चलने को राह शरीअ'त की
अव्वल मंज़िल है तालिब के चलने को राह शरीअ'त कीबेहतर है इसकी ख़ातिर चलना पहले डगर तरीक़त की
संत कवि दिलदार
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - कुदामीन नुक़्त: रा नुत्क़-अस्त अनल-हक़
अनल-हक़ कश्फ़-ए-असरार-अस्त मुतलक़ब-जुज़ हक़ कीस्त ता गोयद अनल-हक़
मह्मूद शबिस्तरी
ग़ज़ल
हक़ को बातिल कोई किस तरह से कह दे ऐ बुतकहीं सानी नहीं उस हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद का हक़
अ’ब्दुर्रहमान एहसान देहलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
माएम ब-लुत्फ़-ए-हक़ तवल्ला कर्द:
माएम ब-लुत्फ़-ए-हक़ तवल्ला कर्द:वज़ ताअ'त-ओ-मा'सियत तबर्रा कर्द: