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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आँ रूह रा कि इश्क़-ए-हक़ीक़ी शिआ'र नीस्त
आँ रूह रा कि इश्क़-ए-हक़ीक़ी शिआ'र नीस्तनाबूद: बेह कि बूदन-ए-ऊ ग़ैर-ए-आ'र नीस्त
मौलाना रूमी
ग़ज़ल
न छेड़ ऐ नग़्मः-गर तसकीन-ए-बे-हंगामः के नग़्मेफ़ज़ाओं में अभी गुंजाइश-ए-शोर-ए-सलासिल है
सीमाब अकबराबादी
फ़ारसी कलाम
तू हर-दम मी-सराई नग़्मः व हर-बार मी-रक़समब-हर तर्ज़े कि मी-रक़्सानीअम ऐ यार मी-रक़सम
ख़्वाजः उस्मान हारूनी
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ग़ज़ल
सुरूर-ओ-कैफ़ का नग़्मः ग़म-ओ-अंदोह का नौहातिलिस्म-ए-ज़ीस्त की सरगम कभी कुछ है कभी कुछ है
अब्दुलहादी काविश
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दर्द-ए-ऊ रा साख़्तम दरमान-ए-ख़्वेश
दर्द-ए-ऊ रा साख़्तम दरमान-ए-ख़्वेशअज़ मय-ओ-नग़्मः कुनम सामान-ए-ख़्वेश
दारा शिकोह
ग़ज़ल
जहाँ हैं महव-ए-नग़्मः बुलबुलें गुल जिस में ख़ंदाँ हैंउसी गुलशन में कल ज़ाग़-ओ-ज़ग़न का आशियाँ होगा
अर्श वारसी
ग़ज़ल
मोहब्बत हैं जिधर देखो बहार-ए-जावेदानी हैहुजूम-ए-रंग-ओ-बू है हुस्न-ओ-नग़्मः है जवानी है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
वही बज़्म-ए-ऐ’श-ओ-नशात है वही नग़्मा है वही साज़ हैनहीं फिर भी दिल को सुकून कुछ वो पयाम ऐसा सुना गए
सादिक़ देहलवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
इशारात ब-ख़राबातियान
शुदः बे-पा-ओ-सर चूँ चर्ख़-ए-गर्दांब-हर नग़्मः कि अज़ मुतरिब शुनीदः
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दाऊद गुफ़्त ऐ पादशाह चूँ बे-नियाज़े तू ज़े-मा
ऐ रूह अंदर जुस्तुजू सर साज़ हम-चूँ आबजूवै अक़्ल बहर-ए-आँ बक़ा दायम ब-रौ राह-ए-फ़ना
मौलाना रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सलाम-ए-मोहब्बत
याद बाद आँ खंद: व आँ तनतनःयाद बाद आँ नग़्मः व आँ ज़मज़मः