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फ़ारसी कलाम
कमाल-ए-बातिन-ओ-ज़ाहिर जमाल-ए-अव्वल-ओ-आख़िरहमेश: हम-चुनीं मौजूद अहमद बूद अहमद बूद
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी कलाम
मा ताज-ए-सर-अफ़्राज़-ए-हम: ख़ल्क़-ए-ख़ुदाएममा बादश्ह-ए-मुम्लिकत-ए-हर-दो-सराऐम
ख़्वाजा अहमद जाम
पद
शा अद्हम ने तख़्त ताज को हाथ में अपने लाया जब
शा अद्हम ने तख़्त ताज को हाथ में अपने लाया जबरंज सिवा 'दिलदार' नहीं कुछ हासिल उस का पाया तब
संत कवि दिलदार
फ़ारसी कलाम
जलव:-ए-नूरे नुमूद-ओ-नूर-ए-अहमद नाम साख़्तबस बुवद अहमद अहद अज़ रू-ए-ईं गुफ़्तार-ए-मा
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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साखी
लख प्रकास पद तेज को सैज गवन गति गाइ
लख प्रकास पद तेज को सैज गवन गति गाइपाइ पदम सूरति चली पिया भवन के माहिँ
तुलसी साहेब हाथरस वाले
सवैया
नेत्रोपालम्भ - मजु मनोहर मूरि लखै तबही सबही पतही तज दीनी
मजु मनोहर मूरि लखै तबही सबही पतही तज दीनीप्राण पखेरू परे तलफै वह रूप के जाल मैं आस-अधीनी
रसखान
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ईं क़सीदः हम नतीजः-ए-आँ-ख़ाक-ए-पाक सर्खस़ अस्त
ऐ 'सनाई' जेहद कुन ता पेश-ए-सुलतान-ए-ज़मीरअज़ गरेबाँ ताज साज़ी वज़ बुन दामन सरीर
हकीम सनाई
पद
ताज है हर आरी के सर का पीर हमारा शाह मुजीब
ताज है हर आरी के सर का पीर हमारा शाह मुजीबआरिफ़-ए-कामिल शैख-ए-मशाइख़ हक़ का है वह ख़ास हबीब
संत कवि दिलदार
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
सवाल - विसाल-ए-मुमकिन-ओ-वाजिब बहम चीस्त
ब-कुल्लीयत रिहाई याबी अज़ ख़्वेशग़नी गर्दी ब-हक़ ऐ मर्द-ए-दरवेश
मह्मूद शबिस्तरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ दिल अर उक़बात बायद दस्त अज़ दुनिया ब-दार
गर चू बू-ज़र आरज़ू-ए-ताज-दारी रोज़-ए-हश्रबाश चूँ मंसूर-ए-हल्लाज इंतज़ार-ए-दार दार
हकीम सनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दाऊद गुफ़्त ऐ पादशाह चूँ बे-नियाज़े तू ज़े-मा
न ताज ख़्वाहद न क़बा ईं आफ़्ताब अज़ फ़ैज़-ए-हक़ज़ू हस्त सद कुल रा कुलह वज़ बहर-ए-द: उर्यान क़बा
मौलाना रूमी
कलाम
अहमद रज़ा ख़ाँ
ग़ज़ल
ख़ुद को मिटाना गुम हो जाना नामवरी से मुश्किल हैदरवेशी आसान नहीं है ताज-वरी से मुश्किल है