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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-मजनूँ
रेग काग़ज़ क़द्र वंगुश्ताँ क़लममी-नवीसद नामः बह्र-ए-कस रक़म
मौलाना रूमी
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फ़ारसी कलाम
दर क़लम आवुर्द 'हाफ़िज़' क़िस्स:-ए-ला'ल-ए’-लबशआब-ए-हैवाँ मी-चकद हर-दम अज़ अक़लामम हनूज़
हाफ़िज़
पद
प्रेमालाप के पद - चंद्र वदन पर म्हारो भँवरो बस्यो ऐ आली
चंद्र वदन पर म्हारो भँवरो बस्यो ऐ आलीजल बिच कमल कमल बिच कलियाँ
मीरा
ग़ज़ल
शाख़-ए-गुल छेड़ी है किस ने क्यूँ क़लम करता है हाथदीदः-ए-ओ-दानिस्तः अब बोहतान मत हम पर लगा
शाह नसीर
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मन अज़ आ'लम तुरा तन्हा गुज़ीनम
दिल-ए-मन चूँ क़लम अंदर कफ़-ए-तूस्तज़े-तुस्त अर शादमानम वर हज़ीनम
मौलाना रूमी
फ़ारसी कलाम
बर-सर-ए-कूयत चूँ सगाँ हर सहरे फ़ुग़ाँ कुनाँहेच म-गोई ऐ फुलाँ तू ज़े-सगान-ए-कीस्ती
फ़ख़रुद्दीन इराक़ी
फ़ारसी कलाम
अज़ सू-ए-चर्ख़ ता ज़मीं सिलसिला-ई अस्त आतिशींसिलसिला रा ब-गीर अगर दर रह-ए-ख़ुद मुहक़्क़िक़ी
मौलाना रूमी
फ़ारसी कलाम
ऐ सरापा-ए-तू दिलकश ऐ अदाहा-ए-तू शोख़ज़ुल्फ़-ए-हिन्दू-ए-तू सरकश चश्म-ए-शह्ला-ए-तू शोख़