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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ तू अंदर हर जमाले रूनुमा
ऐ तू अंदर हर जमाले रूनुमावै तू अंदर हर लिबासे आश्ना
दारा शिकोह
फ़ारसी कलाम
दर ज़ाहिर-ओ-दर बातिन दर जुम्लः जमाल-ए-तुस्तजुज़ तू दिगरे न-बुवद पैदा व निहान-ए-मन
इब्न-ए-यमीन
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फ़ारसी कलाम
ऐ दो-चश्म-ए-सुर्मः-गीनत कुहल-ए-मा-ज़ाग़ल-बसरक़ाबा क़ौसैनस्त रम्ज़-ए-गोश:-ए-अबरू-ए-तू
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
फ़ारसी कलाम
मन चू मिर्रात-ए-ऊयम हुस्न अज़ जमालश बुर्द:अमजुज़ जमाल-ए-ऊ नमी बीनम मिसाल-ए-ख़्वेशतन
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती
फ़ारसी कलाम
मनम मह्व-ए-जमाल-ए-ऊ नमी-दानम कुजा रफ़्तमशुदम ग़र्क़-ए-विसाल-ए-ऊ नमी-दानम कुजा रफ़्तम
बू अली शाह क़लन्दर
मनक़बत-ना'त
रवाँ है बहर-ए-ग़म में मुद्दतों से कश्ती-ए-'फ़रहत'करम कर दें अगर वारिस तो बेड़ा पार हो जाए
फ़रहत वारसीया
दोहा
जमला करै ''ते'' क्या डरें कर कर क्या पछताए
जमला करै ते क्या डरें कर कर क्या पछताएरोपै पेड़ बबूल का आम कहाँ तें खाय