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Sufinama
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सय्यदा ख़ैराबादी

ख़ैराबाद, भारत

सय्यदा ख़ैराबादी के अशआर

फिर उम्मीदों को शुआ'-ए-कामरानी कर अता

क़िस्मत-ए-तारीक को हंगामः-ए-तनवीर दे

इल्तिजा-ए-'सय्यदा' सुन ले बराए मुस्तफ़ा

क़ौम-ए-मुस्लिम को बहार-ए-आ’लम-ए-तक़दीर दे

वो अ’ज़्म बाक़ी रज़्म बाक़ी शौकत-ओ-शान-ए-बज़्म बाक़ी

हमारी हर बात मिट चुकी है कि हम को क़िस्मत मिटा रही है

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