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Sufinama
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रशीद वारसी

इटावा, भारत

रहीम शाह वारसी के मुरीद

रहीम शाह वारसी के मुरीद

रशीद वारसी के अशआर

रंज-ओ-ग़म में सिकुड़ना खेल समझे हो 'रशीद'

चाहिए पत्थर का दिल सदमे उठाने के लिए

चैन ही चैन मिला तुम से मोहब्बत कर के

दौलत-ए-इ'श्क़ मिली घर का क्या कुछ भी नहीं

इ’श्क़ था अपने ज़ो'म में इ’श्क़ को ज़िद बनी रही

क़िस्स: हुआ मुख़्तसर उम्र तमाम हो गई

उन का ख़त आने से तस्कीन हुई थी दिल को

जब ये देखा कि लिखा क्या तो लिखा कुछ भी नहीं

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