قاضی محمود دریائی کے دوہے
कलमा शहादत तिल न बिसारो जिसथी छूटो निदान।
महमूद मुख थी तिल न बिसरे अपने अल्लाह का नाम।।
महमूद भूखाँ भोजन दीजें, तरसा दीजे पानी।
ऊँचा सेंती नम नम चलिये, मोटम न मन में आनी।।
सवार उठ लीजे अपने अल्लाह का नांव।
पाँचों वक्त नमाज़ गुज़ारों दायम पढ़ो कुरान।।
खाओ हलाल बोलो मुख सांचा राखो दुरुस्त ईमान।
छोडो जंजाल झूठी सब माया जो मन होए ज्ञान।।
मन में गरब तू मत करे, तुझ बैन कई लाख।
तेरा कहिया कौन सूने, महमूद कूं सो माख।।