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पंडित शाएक़ वारसी

देवा, भारत

मुसन्निफ़, अदीब और उर्दू, संस्कृत ज़बान के शाइ’र

मुसन्निफ़, अदीब और उर्दू, संस्कृत ज़बान के शाइ’र

पंडित शाएक़ वारसी के अशआर

जिसे कहते हैं मौत इक बे-ख़ुदी की नींद है 'शाएक़'

परेशानी है जिस का नाम वो है ज़िंदगी अपनी

कर दिया है बे-ख़ुदी ने आज इस क़ाबिल मुझे

अपने पहलू में लिए लेती है ख़ुद मंज़िल मुझे

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