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निसार अकबराबादी

- 1922 | आगरा, भारत

बेदम वारसी के उस्ताद-ए-मोहतरम और अबुल-उ’लाई सिलसिले के एक मशहूर अकबराबादी शाइ’र

बेदम वारसी के उस्ताद-ए-मोहतरम और अबुल-उ’लाई सिलसिले के एक मशहूर अकबराबादी शाइ’र

निसार अकबराबादी के अशआर

नौ-असीर-ए-फ़ुर्क़त हूँ वस्ल-ए-यार मुझ से पूछ

हो गई ख़िज़ाँ दम में सब बहार मुझ से पूछ

ख़्वाब है बेदारी शुक्र है होशियारी

लुत्फ़-ए-लज़्ज़त-ए-कैफ़-ए-बे-ख़ुमार मुझ से पूछ

बाग़-ओ-बहिश्त-ओ-हूर-ओ-जन्नत अबरारों को कीजिए इनायत

हमें नहीं कुछ उस की ज़रूरत आप के हम दीवाने हैं

नौ-असीर-ए-फ़ुर्क़त हूँ वस्ल-ए-यार मुझ से पूछ

हो गई ख़िज़ाँ दम में सब बहार मुझ से पूछ

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