हसन रज़ा बरेलवी के अशआर
तुम आए रौशनी फैली हुआ दिन खुल गईं आँखें
अँधेरा सा अँधेरा छा रहा था बज़्म-ए-इम्काँ में
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टैग : अँधेरा
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