हफ़ीज़ फ़र्रूख़ाबादी के अशआर
राह में जन्नत 'हफ़ीज़' आवाज़ देती ही रही
हम ने मुड़ कर भी न देखा कर्बला जाते हुए
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टैग : आवाज़
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