Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
noImage

गुरबचन सिंह दयाल

गुरबचन सिंह दयाल के अशआर

ख़ुदा गो ज़र्रे ज़र्रे से अयाँ है

मगर ज़र्रा यहाँ कुछ भी नहीं है

जहाँ हो बिजलियों का ख़ौफ़ पैहम

सुकून-ए-आशियाँ कुछ भी नहीं है

शोमी-ए-क़िस्मत कहें या ख़सलत-ए-इंसाँ इसे

के क़ाबिज़ बज़्म-ए-हस्ती पर ये मेहमाँ हो गया

Recitation

बोलिए