Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
Gulal Sahab's Photo'

गुलाल साहब

गाज़ीपुर, भारत

गुलाल साहब के दोहे

माला जपों मंतर पढ़ों मन मानिक को प्रेम

कंथ गूदरि पहिरौं नहीं कह 'गुलाल' मेरे नेम

गुलाल ताखी तत्त दियो प्रेम सेल्हि हिये नाय

सुमिरिनी मन महँ फिरयो आठ पहर लौ लाय

गूदर धागा नाम का सूई पवन चलाय

मन मानिक मनि गन लग्यो पहिर 'गुलाल' बनाय

'गुलाल' माला नाम का राखो गर में नाय

कोटि जतन छूटे नहीं रहो जोति लपटाय

Recitation

बोलिए