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Sufinama
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फ़िदा वारसी

फ़िदा वारसी के अशआर

फ़लक ख़ुद पीर है गर्दिश सताए आप ही उस को

उसी से आह को शिक्वा है अपनी ना-रसाई का

ख़ुदा समझे तुझे नासेह मलामत पर मलामत की

किया आख़िर को तू ने फ़ाश पर्दा पारसाई का

मज़ा में दम भरा वारिस की सच्ची आश्नाई का

ये क्या मा’लूम था हम को कि ग़म होगा जुदाई का

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