Sufinama
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भगवतरसिक

भगवतरसिक के दोहे

ग्राम-सिंह भूखो विपिन, देखि सिंह कौ रूप।

सुन-सुनि भूखैं गलिन में, सबै स्वान बेकूप।।

भगवत जन चकरी कियौ सुरत समाई डोर

खेलति निसिदिन लाडली कबहुँ डारति तोर

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