मीरा की तरह यह भी कृष्ण भक्त थीं। असमय विधवा होने पर इसमें आध्यात्मिक रुचि जगी और संसार से विरक्त हो गयी। बहणा बाई, तुकाराम की शिष्या थी। कुछ लोग इन्हें रामदास की शिष्या भी कहते हैं। इनकी अधिकांश रचनाएं कृष्ण भक्ति परक हैं।
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