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अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी

हैदराबाद, भारत

अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी

वीडियो 30

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अगर ख़ुदा है तो मैं नहीं हूँ अगर हूँ मैं तो ख़ुदा नहीं है

अज्ञात

अगरचे नफ़्स-ए-अम्मारा में ये जुम्बिश नहीं होती

अज्ञात

अपनी ख़ुदी के हम हैं पुजारी

अज्ञात

अल्लाह रे इंसान अल्लाह रे अल्लाह

अज्ञात

उसे क्या पाओगे पाने की ख़ुद तदबीर उल्टी है

अज्ञात

उस यार को पहचानो जो सब से निराला है

अज्ञात

उसी गुम-शुदा का पता मिल गया है वहीं हैं मोहम्मद जहाँ पर ख़ुदा है

अज्ञात

कलिमा जो नहीं पढ़ता मोमिन नहीं कहलाता

अज्ञात

ख़ुद अपने को पाना ही अल्लाह को पाना है

अज्ञात

ख़ुद की तहक़ीक़ में राज़ ये खुल गया

अज्ञात

ख़ुदा बे-शक्ल था लेनी पड़ी सूरत मोहम्मद की

अज्ञात

ख़ुशी में ख़फ़ी से निकल जा रहा है

अज्ञात

गंदुम को खा के 'रिज़वाँ' हैं ऐसे हाल में हम

अज्ञात

जब मेरी दीद की उस को ख़्वाहिश हुई 'अर्श से फ़र्श पर मुझ को लाना पड़ा

अज्ञात

जुस्तुजू ख़ुदा की थी मिल गया मदीने में

अज्ञात

ज़िक्र-ए-इन्नी-अनल्लाह किया हूँ

अज्ञात

ज़िंदा रहता है ज़िंदे में

अज्ञात

देख पर्दा उठा के ग़फ़लत का

अज्ञात

दीद बिन अल्लाह मोहम्मद से मोहब्बत कैसी

अज्ञात

पर्दा-ए-नूर में हैं यार मदीने वाले

अज्ञात

मेरा पीर मुझ को ख़रीद कर मुझे क़ैद-ओ-बंद से छुड़ा दिया

अज्ञात

मेरी जुस्तुजू का भला हुआ मेरी जुस्तुजू का सिला मिला

अज्ञात

मेरी टिकटिकी सलामत मेरा यार सामने है

अज्ञात

ये राज़ खुला हम पर असरार-ए-ख़िलाफ़त में

अज्ञात

ये है अल्लाह का फ़रमान हर इक को सुना देना

अज्ञात

राज़ ये अपने पे खुलता क्यूँ नहीं

अज्ञात

वहीं है मोहम्मद जहाँ पर ख़ुदा है

अज्ञात

शक्ल-ए-मुर्शिद को घूर दीवाने

अज्ञात

सब कुछ है दफ़्न मुझ में वो ज़िंदा मज़ार हूँ

अज्ञात

साथ ख़्वाजा भी हैं ग़ौस-ए-आ'ज़म भी हैं

अज्ञात

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