Sufinama
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अब्दुर्रहमान

दिल्ली, भारत

अब्दुर्रहमान के दोहे

बारी बारी बैस में वारी सौति श्रृंगार

हारी हारी करत है हारी हेरत हार

बानी बानी देत शुभ जस बाती तस रीति

‘रहैमान’ ताको तबै रहैमान चित प्रीति

करकी करकी चूरिया बरकी बरकी रीति

दरकी दरकी कंचुकी हटकी हटकी प्रीति

नर राची मेंना लखी तू कित लिख्यो सुजान

पढ़ कुरान भौरा भयो सुन राच्यो ‘रहमान’

चुनी चुनी पहरी सुरंग चुनी सौति दल कीन

बनी बनी रस सो सरस तना तनी कुच पीन

पलकन में राखौ पियहि पलकन छाड़ौ संग

पुतरी सो तै होहि जिन डरपत अपने अंग

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