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साक़ी-ए-बा-वफ़ा मनम दम हमः दम 'अली 'अली

रूमी

साक़ी-ए-बा-वफ़ा मनम दम हमः दम 'अली 'अली

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    रोचक तथ्य

    منقبت در شان حضرت علی مرتضیٰ (نجف-عراق)

    साक़ी-ए-बा-वफ़ा मनम दम हमः दम 'अली 'अली

    सूफ़ी-ए-बा-सफ़ा मनम दम हम: दम 'अली 'अली

    मैं वफ़ादार साक़ी हूँ, मेरी हर साँस हर वक़्त अली अली का नारा लगाती है, मैं साफ़ दिल सूफ़ी हूँ जिसकी हर साँस में अली अली का ज़िक्र है।

    'आशिक़-ए-मुर्तज़ा मनम दम हम: दम 'अली 'अली

    मुतरिब-ए-ख़ुश-नवा मनम दम हमा दम 'अली 'अली

    मैं आशिक़-ए अली मुरतज़ा हूँ, मैं हर साँस में अली को याद करता हूँ, मैं मधुर स्वर में गाने वाला गायक हूँ जिसकी हर साँस में अली अली का नग़मा है।

    आदम-ए-बा-सफ़ा तुई यूसुफ़-ए-मह-लिक़ा तुई

    ख़िज़्र-ए-रह-ए-ख़ुदा तुई दम हम: दम 'अली 'अली

    आदम सफ़ीउल्लाह आप ही हैं, हुस्न-ए-यूसुफ़ आप ही का प्रतिबिंब है, राह-ए-हक़ के ख़िज़्र और रहनुमा आप ही हैं कि मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    'ईसा-ए-मरयमी तुई अहमद-ए-हाशमी तुई

    शेर-ए-नर-ए-ख़ुदा तुई दम हम: दम 'अली 'अली

    ईसा बिन मरयम आप ही हैं, अहमद हाशमी आप ही हैं, असदुल्लाह ग़ालिब आप ही हैं कि मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    शाह-ए-शरी’अतम तुई पीर-ए-तरीक़तम तुई

    हक़ ब-हक़ीक़तम तुई दम हम: दम 'अली 'अली

    मेरे शाह-ए-शरीअत और पीर-ए-तरीक़त आप ही हैं, हक़ तो यह है कि मेरी हक़ीक़त आप ही हैं। मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    शम्स तुई क़मर तुई बहर तुई-ओ-बर तुई

    मालिक-ए-ख़ुश्क-ओ-तर तुई दम हमः दम 'अली 'अली

    सूरज आप ही हैं, चाँद आप ही हैं, समुद्र और धरती आप ही हैं, ख़ुश्क-ओ-तर के मालिक आप ही हैं, मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    हमदम-ए-सय्यद-उल-बशर राजि-ए-शम्स-वल-क़मर

    बाब-ए-शबीर-ओ-हम-शबर दम हमः दम 'अली 'अली

    हज़रत रसूल-ए-ख़ुदा के हमनफ़स, सूरज और चाँद को वापस लौटाने वाले, हज़रत हसनैन के पूज्य पिता आप ही हैं, मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    सय्यद-ए-सरवर-ए-करम गुफ़्त: ब-तू इब्न-ए-’अम

    लहमुका-लहमी दमुका दम दम हम: दम 'अली 'अली

    हज़रत नबी करीम ने इरशाद फ़रमाया कि मेरे इब्न-ए-अम, तुम्हारा गोश्त मेरा गोश्त है, तुम्हारा ख़ून मेरा ख़ून है, मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

    आयः-ए-इन्नमा बरत ताज ज़ ला-फ़ता सरत

    'शम्स' ग़ुलाम-ए-क़म्बरत दम हम: दम 'अली 'अली

    आयत-ए-इन्नमा का ख़िर्क़ा आपके तन पर है, ला फ़ता का ताज आपके मुबारक सिर पर है और शम्स आपके क़ंबर का ग़ुलाम है, मेरी हर साँस में अली अली की सदा है।

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    आबिदा परवीन

    आबिदा परवीन

    स्रोत :
    • पुस्तक : औलिया-ए-किराम और शोरा-ए-इज़ाम आस्ताना-ए-मौला अली पर (पृष्ठ 108)

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