पद अशआर की एक सिन्फ़ है। पदों में इस तरह की कोई क़ैद नहीं होती। ये उन से आज़ाद होते हैं इसलिए क़दीम शाइरों ने पदों के उन्वान पर रागों के ही नाम दिए हैं। पदों की रिवायत हिन्दी अदब में कबीर से शुरू हुई ।
पंद्रहवीं सदी के एक सूफ़ी शाइ’र और संत जिन्हें भगत कबीर के नाम से भी जाना जाता है, कबीर अपने दोहे की वजह से काफ़ी मशहूर हैं, उन्हें भक्ति तहरीक का सबसे बड़ा शाइ’र होने का ए’ज़ाज़ हासिल है