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Sufinama

न मह-ओ-नुजूम की जुस्तुजू न तो कहकशाँ की तलाश है

तल्हा रिज़वी बरक़

न मह-ओ-नुजूम की जुस्तुजू न तो कहकशाँ की तलाश है

तल्हा रिज़वी बरक़

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    मह-ओ-नुजूम की जुस्तुजू तो कहकशाँ की तलाश है

    तिरी राह पर जो निकल पड़ा उसी कारवाँ की तलाश है

    मैं हूँ बुलबुल-ए-चमन-ए-नबी मिरी दास्तान-ए-हज़ार रंग

    मिरी ख़ुश-नवाई को नौ-ब-नौ गुल-ए-ज़र-फ़िशाँ की तलाश है

    सबब-ए-इरादा-ए-कुन-फ़काँ वही अम्न-ओ-राहत-ए-दो-जहाँ

    है जो हसरत-ए-दिल-ए-मुर्ग़-ए-जाँ उसी आशियाँ की तलाश है

    लिखूँ ना’त-ए-सरवर-ए-अम्बिया बढ़े रुत्बा-ए-फ़न्न-ए-शा’इरी

    है नई ज़मीन की जुस्तुजू नए आसमाँ की तलाश है

    है वुजूद सदक़ा-ए-नूर जब उसे ख़ौफ़ बहर-ए-’अदम हो कब

    सफ़ीना-ए-ग़म-ए-दिल को अब किसी बादबाँ की तलाश है

    मिरी जान अमीन-ए-ग़म-ओ-अलम मिरा दिल है दर्द से आश्ना

    दुर-ए-अश्क जिस में पिरो सकूँ उसी रेस्माँ की तलाश है

    हूँ मैं शौक़-ए-सज्दा पे ख़ुद निसार कि इस जबीन-ए-नियाज़ को

    तिरे आस्ताँ की है जुस्तुजू तिरे आस्ताँ की तलाश है

    रहे मुस्तजाब-ए-हदफ़ मिरा चले तीर बन के दु'आ मिरी

    बने सोज़-ए-'इश्क़-ए-नबी से जो मुझे इस कमाँ की तलाश है

    चलो ‘बर्क़’-ए-’आसी-ओ-मुब्तला तरफ़-ए-रसूल-ए-ख़ुदा-नुमा

    कि शफ़ा'अत उन की है मेज़बाँ उसे मेहमाँ की तलाश है

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