अजमेर को ख़्वाजा तोरी सूरत सपने में दिखा एक नजरिया
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अजमेर को ख़्वाजा तोरी सूरत सपने में दिखा एक नजरिया
इमामुद्दिन अली चिश्ती
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रोचक तथ्य
منقبت درشان غریب نواز خواجہ معین الدین چشتی (اجمیر-ہندوستان)
अजमेर को ख़्वाजा तोरी सूरत सपने में दिखा एक नजरिया
तोरा दर्शनवा देखन मोरा जिया तरसत है ओ साँवरिया
दिन रैन दुआ है ये तुझ से अज़ बहर-ए-नबी अज़ बहर-ए-'अली
ऐसा वो कहीं दिन आए ख़ुदा कि मैं लूँ अजमेर की डागरिया
तोरी पय्याँ परूँ तोरी मिन्ती करूँ मोरा सीस तोरी चौखट पे धरूँ
अरमान यही है मोरे दिल को तोरे गुम्बद के फिरूँ का दरिया
तू ही राजा है हिंदुस्तानन का तूही राजा है वलियन का
अजमेर नगर में तगहत है तोरा सब राजन तू है सरवरिया
है आल-ए-नबी ला-रैब तू ही बे-शक है तू ही औलाद-ए-'अली
हैदर सी है तोरी सुरतियाँ अहमदी है तोरी चाल रुपा
कोई गुम्बद में तोहे देखत है कोई मंदिर में तोहे ढूँढत है
कोई तोको कहत है संजरिया कोई तोहे कहत रा मेसरिया
कोई तोको ख़ुदा में बनावत है कोई तुझ में ख़ुदा को मिलावत है
तू ख़ुदा में है तुझ में ख़ुदा है बजा हर जाए तूही है माजरिया
तोरी हिंद-ओ-’अरब में शोहरत है तू हिंदी-ओ-’अरबी कहावत है
मशहूर है ये भी नाम तोरा अजमेरी चिश्ती संजरिया
तूही पीर मोरा तूही गुर है मोरा मोरी जान प्राण है तुझ पर फ़िदा
मोको तुझ से है हरका भेद मिला बे-शक है मेरा रहबरया
दादा वो तोरा है शेर-ए-ख़ुदा जाको ख़िर्क़ः फ़क़ीरी का है मिला
नाना है तिरा वो हबीब-ए-ख़ुदा ओढ़त है जो कारी कामरिया
ओ हज़रत-ख़्वाजा मु'ईनुद्दीन ओ मालिक-ए-शाह-ए-ज़मान-ओ-ज़मीन
है उदास ‘इमामुद्दीन’ तोरा कृपा की हो उस पर नाजरिया
- पुस्तक : Majmua-e-Qawwali, Part 4 (पृष्ठ 17)
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