ने'मत है बड़ी शफ़क़त-ए-महबूब-ए-इलाही
रोचक तथ्य
تضمین۔ مناقب در شان محبوب الٰہی حضرت نظام الدین اؤلیا (دہلی-بھارت)
ने'मत है बड़ी शफ़क़त-ए-महबूब-ए-इलाही
अल्लाह रखे उल्फ़त-ए-महबूब-ए-इलाही
आँखों में बसी सूरत-ए-महबूब-ए-इलाही
दिल में है मिरे 'अज़्मत-ए-महबूब-ए-इलाही
पोशीदा नहीं शौकत-ए-महबूब-ए-इलाही
ये ज़िंदा हक़ीक़त है कहानी न फ़साना
दरवेश की 'अज़्मत का नहीं कोई ठिकाना
क्या मुलक है क्या ताज है क्या तख़्त शहाना
क़दमों में झुके आके सलातीन-ए-ज़माना
ये शान है ये सतवत-ए-महबूब-ए-इलाही
जागीर यहाँ शैख़ की पंडित की नहीं है
नफ़रत कहाँ बू बास भी नफ़रत की नहीं है
दुनिया है मोहब्बत की 'अदावत की नहीं है
तफ़रीक़ यहाँ मज़हब-ओ-मिल्लत की नहीं है
हर एक पे है शफ़क़त-ए-महबूब-ए-इलाही
सब हुस्न हक़ीक़त की है दीदार-नुमाई
आँखें हुईं रौशन तो जिला क़ल्ब ने पाई
जो बात मुहिब में वही महबूब में आई
जो रोज़-ए-अज़ल वारिस-ए-'आलम ने दिखाई
सूरत है वही सूरत-ए-महबूब-ए-इलाही
क्या हुस्न-ए-हक़ीक़ी पे जलाल आया हुआ है
गुम होश हैं 'आरिफ़ के भी हाल आया हुआ है
दुनिया है हसीं किस का ख़याल आया हुआ है
हर शय मुतबस्सिम है जमाल आया हुआ है
अल्लाहु ग़नी जल्वत-ए-महबूब-ए-इलाही
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