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Shah Turab Ali Qalandar's Photo'

शाह तुराब अली क़लंदर

1767 - 1858 | काकोरी, भारत

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती

शाह तुराब अली क़लंदर के अशआर

सपने में आँख पिया संग लागी।

चौंक पड़ी फिर सोई जागी।।

सैयाँ संग कस मोरा लागो नयनवा

आँख लगत नहीं नींद पड़त नहीं

मोहब्बत जब हुई ग़ालिब नहीं छुपती छुपाने से

फुग़ान-ओ-आह-ओ-नाला है तिरे आ’शिक़ का नक़्क़ारा

होता आईना हरगिज़ मुक़ाबिल

तू अपना हुस्न चमकाया तो होता

जब सो गये तुम आँख लगाय

कैसे तुराब पिया को भूलूँ

काहे तू मोसे आँख चुरावत

संमुख तोरे मैं आपै हूँगी

ऐसे निठुर से काम पड़ो है

आँख लगाय मैं जी सो गई

श्री वृषभानु किशोरी रे लोगो

मोरी तो आँख तुराब सो लागी

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