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आशिक़ हैदराबादी

हैदराबाद, भारत

आशिक़ हैदराबादी

वीडियो 12

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अपने में दिखाता है जो अल्लाह का जल्वा अजमेर का ख़्वाजा

अज्ञात

आता है दिल में बुत की परस्तिश किया करूँ

अज्ञात

का'बे में बस गया है सनम किस के वास्ते

अज्ञात

ख़ुदा-वंद-ए-मुतलक़ हमारा 'अली है

अज्ञात

ख़ाना-ए-दिल में ख़ुदा था मुझे मा'लूम न था

अज्ञात

ज़ात-ए-रब्ब-ए-ज़ुल-मेनन ख़्वाजा मुई'नुद्दीं हुसन

अज्ञात

नाम अब जिस का ख़्वाजा है

अज्ञात

मैं सुन कर मस्त हूँ नग़्मा किसी का

अज्ञात

मज़हर-ए-ज़ात-ए-ख़ुदा है अपना ख़्वाजा बादशाह

अज्ञात

सनम के जिस्म में आ कर नफ़्स का तार कहते हैं

अज्ञात

सरापा है ये अल्लाह का ज़रा देखो मोहम्मद को

अज्ञात

हम अपने सिवा ग़ैर को सज्दा नहीं करते

अज्ञात

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