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कलाम
हाफ़िज़ पढ़ पढ़ करन तकब्बर मुल्लाँ करन वडाई हूसावन माह दे बदलाँ वाँगूँ फिरन किताबाँ चाई हू ।
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
करें आह-ओ-फ़ुग़ाँ फोड़ें-फफोले इस तरह दिल केइरादा है कि रोएँ ईद के दिन भी गले मिल के
औघट शाह वारसी
कलाम
चढ़ चनना ते कर रौशनाई ज़िकर करेंदे तारे हूगलियाँ दे विच फिरन निमाणे लालाँ दे वणजारे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
जब लग ख़ुदी करें ख़ुद नफ़सों तब लग रब्ब न पावें हूशर्त फ़ना नूँ जानें नाहीं, नाम फ़क़ीर रखावें हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
मुर्शिद ओह सहेड़िये जेहड़ा दो जग ख़ुशी दिखावे हूपहले ग़म टुकड़े दा मेटे वत रब्ब दा राह सुझावे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
अड्डियाँ मारन करन बखेड़े दर्द-मंदाँ दे खोरी हू'बाहू' चल उथाईं वसिये, दाह्वा न जित्थ होरी हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
रातीं जागें करें इबादत निन्दिया करें पराई हूकूड़ा तख़्त दुनिया दा 'बाहू' फ़क़र सच्ची पातशाही हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
जित्थे हू करे रौशनाई छोड़ अंधेरा वैंदा हूमैं क़ुर्बान तिनाँ तोंं 'बाहू' जो हू सहीह करेंदा हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
जिन्हाँ शौह अलिफ़ थीं पाया फोल क़ुरआन न पढ़दे हूमारन दम मोहब्बत वाला दूर होयो न पर्दे हू