आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "muntakhbat rubaiyat e raza syed jalal bin mohammad maqsood alam rizvi ebooks"
Kalaam के संबंधित परिणाम "muntakhbat rubaiyat e raza syed jalal bin mohammad maqsood alam rizvi ebooks"
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
पढ़ पढ़ इलम हज़ार कताबाँ आलिम होए भारे हूहर्फ़ इक इश्क़ दा पढ़ न जाणन भुल्ले फिरन विचारे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
दीवान: बन जाने से भी दीवान: होना है अच्छादीवान: होने से अच्छा ख़ाक-ए-दर-ए-जानाना बन जा
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
एह दिल हिजर फ़िराक़ों सड़या एह दम मरे न जीवे हूसच्चा राह मोहम्मद वाला जैं विच रब्ब लुभीवे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
न मैं आलिम न मैं फ़ाज़िल न मुफ़्ती न क़ाज़ी हूना दिल मेरा दोज़ख़ ते ना शौक़ बहिश्ती राज़ी हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
बिन जानी जान ख़राब बही बा-आतिश-ए-शौक़ कबाब बहीजों माही बहर-ए-बे-आब बही नित रुदन साथ बीमार होया
वारिस शाह
कलाम
नाँ रब्ब अर्श मुअ'ल्ला उत्ते न रब्ब ख़ाने-काबे हूना रब्ब इलम किताबीं लब्भा, न रब्ब विच महाराबे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
मोरी कौन संग लगन धराई धन धन तेरी है ख़ुदाईबिन माँगे मेरी मंगनी जो किन्हें नेह की मिस्री खिलाई
अमीर ख़ुसरौ
कलाम
कलमे दी कल तदाँ पई, जद मुर्शिद कलमा दिस्या हूसारी उमर कुफ़र विच जाली बिन मुर्शिद दे दस्याँ हू