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कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
एह दिल हिजर फ़िराक़ों सड़या एह दम मरे न जीवे हूसच्चा राह मोहम्मद वाला जैं विच रब्ब लुभीवे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
वाहन-लेसोवै.आतिन ज़हबत आँ अहद-ए-हुज़ूर-ए-बारगह-अतजब याद आवत मोहे कर न परत दर्दा वह मदीनः का जाना
अहमद रज़ा ख़ाँ
कलाम
कहीं उन्वान बदला है कहीं तर्ज़-ए-बयाँ बदलाअज़ल से ता अबद अफ़्साना-ए-हस्ती कहाँ बदला
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
क्या शोर-ए-क़यामत हो अजब फ़ित्ना हो बरपाजब यार खड़ा हो मिरे बिस्तर के बराबर
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजरा खिड़ियाँ बाग़-बहाराँ हूविच्चे कूज़े विच मुसल्ले विच सज्दे दियाँ ठाराँ हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
बुलबुलों पर कर दे ऐ सय्याद एहसाँ छोड़ देफ़स्ल-ए-गुल आई है ज़ालिम छोड़ दे हाँ छोड़ दे
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हूजरा विच पा फ़क़ीरा झाती हून कर मिन्नत ख़्वाज ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
दिल यहाँ भी मुब्तला-ए-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ हो गयाख़ान:-ए-अहबाब भी 'औघट' को ज़िंदाँ हो गया
औघट शाह वारसी
कलाम
एह तन रब सच्चे दा हुजरा विच पा फ़कीराँ झाती हून कर मिन्नत ख़्वाजा ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हु