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कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
एह दिल हिजर फ़िराक़ों सड़या एह दम मरे न जीवे हूसच्चा राह मोहम्मद वाला जैं विच रब्ब लुभीवे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
बुलबुलों पर कर दे ऐ सय्याद एहसाँ छोड़ देफ़स्ल-ए-गुल आई है ज़ालिम छोड़ दे हाँ छोड़ दे
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
मैं शम-ए-फ़रोज़ाँ हूँ मैं आतिश-ए-लर्ज़ां हूँमैं सोज़िश-ए-हिज्राँ हूँ मैं मंज़िल-ए-परवानः
वासिफ़ अली वासिफ़
कलाम
अहमद रज़ा ख़ाँ
कलाम
शाह अली शेर-अल्ला वांगण वड्ढ कुफ़र नूँ सुटया हूदिल साफ़ी ताँ होवे जे कर कलमा लुँ-लूँ रसया हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
क्या आब है क्या ताब है ऐ जौहरी आ देखआँसू हैं मिरे लाल-ओ-गौहर के बराबर
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
अमीर ख़ुसरौ
कलाम
न रोता है न हँसता है न कुछ कहता न सुनता हैशराब-ए-इश्क़-ए-लैला से हुआ मदहोश यकबारा
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
ज्ञान में गुनवन्त था होर ध्यान में था परम-रूपक्यूँ किया ज्ञानी हो कार-ए-ख़ाम सीता वास्ते
शाह तुराब अली दकनी
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजरा खिड़ियाँ बाग़-बहाराँ हूविच्चे कूज़े विच मुसल्ले विच सज्दे दियाँ ठाराँ हू