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कलाम
वाहन-लेसोवै.आतिन ज़हबत आँ अहद-ए-हुज़ूर-ए-बारगह-अतजब याद आवत मोहे कर न परत दर्दा वह मदीनः का जाना
अहमद रज़ा ख़ाँ
कलाम
तग़य्युर से बरी हुस्न-ओ-मोहब्बत की गुल अफ़्शानीगराँ गुज़री ज़माने पर ज़माना सर-गराँ बदला
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
हिज्र की जो मुसीबतें अर्ज़ कीं उस के सामनेनाज़-ओ-अदा से मुस्कुरा कहने लगा जो हो सो हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
कलाम
नोक-ए-मिज़ा-ए-यार है नश्तर के बराबरख़ूँ-रेज़ी में अबरू भी है ख़ंजर के बराबर
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
यही देखा तमाशा जा के हम ने बज़्म-ए-जानाँ मेंकहीं लाश: तड़पता है किसी जा रक़्स-ए-बिस्मिल है
औघट शाह वारसी
कलाम
अज़ल अबद नूँ सही कीतोसे वेख तमाशे गुज़रे हूचोदाँ तबक़ दिले दे अंदर आतश लाए हुजरे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
अमीर ख़ुसरौ
कलाम
की होया बुत दूर गया दिल हरगिज़ दूर न थीवे हूसै कोहाँ ते वसदा मुर्शिद विच हुज़ूर दिसीवे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
फ़ख़्र ये है मैं शह-ए-'वारिस' के दर का हूँ फ़क़ीरमर्तब: 'औघट' नहीं जो क़ैसर-ओ-फ़ग़्फ़ूर का
औघट शाह वारसी
कलाम
इस दर की सख़ावत क्या कहिए ख़ाली न गया मंगता कोईमुहताज यहाँ जो आते हैं वो झोलियाँ भर के जाते हैं