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कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
क़दर की जाणन लाल जवाहर जो सौदागर बिल दे हूसो ईमान सलामत वैसन, भज्ज फ़कीराँ मिलदे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
वो उस की क़द्र क्या जाने ख़ुदा-हाफ़िज़ मैं डरता हूँपड़ा है हाथ में लड़के के मेरे दिल का सीपारा
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
लोक अयाणे मत्तीं देवण आशिक़ मत्त न भावे हूमुड़न मुहाल तिन्हाँ नूँ जिन्हाँ साहिब आप बुलावे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजरा खिड़ियाँ बाग़-बहाराँ हूविच्चे कूज़े विच मुसल्ले विच सज्दे दियाँ ठाराँ हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
बुलबुलों पर कर दे ऐ सय्याद एहसाँ छोड़ देफ़स्ल-ए-गुल आई है ज़ालिम छोड़ दे हाँ छोड़ दे
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हूजरा विच पा फ़क़ीरा झाती हून कर मिन्नत ख़्वाज ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
एह तन रब सच्चे दा हुजरा विच पा फ़कीराँ झाती हून कर मिन्नत ख़्वाजा ख़िज़र दी तैं अंदर आब हयाती हु
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
अहमद रज़ा ख़ाँ
कलाम
बात कुछ दिल की सुनी ऐ निस्बत-ए-ज़ात-ओ-सिफ़ातहो बुतों से बे नियाज़ी तो ख़ुदा से क्या ग़रज़