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कलाम
क़दर की जाणन लाल जवाहर जो सौदागर बिल दे हूसो ईमान सलामत वैसन, भज्ज फ़कीराँ मिलदे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
शौक़ दा देवा बाल अंधेरे मताँ लब्भे वस्त खड़ाती हूमरण थीं उगे मर रहे जिन्हाँ हक़ दी रम्ज़ पछाती हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
शौक़ दा दीवा बाल हनेरे मत लब्भे वस्त खड़ाती हूमरन थीं अग्गे मर रहे जिन्हाँ हक़ दी रमज़ पछाती हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
लाए थे मुल्क-ए-अदम से साथ अपने नक़्द-ए-दिलअब यहाँ से उस के बदले दाग़-ए-फ़ुर्क़त ले चले
औघट शाह वारसी
कलाम
अंदर हू ते बाहर हौ हू बाहर कत्थे जलेंदा हूहू दा दाग़ मोहब्बत वाला हर-दम नाल सड़ेंदा हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजरा खिड़ियाँ बाग़-बहाराँ हूविच्चे कूज़े विच मुसल्ले विच सज्दे दियाँ ठाराँ हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
बुलबुलों पर कर दे ऐ सय्याद एहसाँ छोड़ देफ़स्ल-ए-गुल आई है ज़ालिम छोड़ दे हाँ छोड़ दे