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कलाम
औघट शाह वारसी
कलाम
करें आह-ओ-फ़ुग़ाँ फोड़ें-फफोले इस तरह दिल केइरादा है कि रोएँ ईद के दिन भी गले मिल के
औघट शाह वारसी
कलाम
हुस्न के चर्चे उस के दम से रौनक़-ए-आलम उस के क़दम सेनूर के साँचे में क़ुदरत ने उस को कुछ ऐसा ढाला है
कामिल शत्तारी
कलाम
'ज़हीन' इस में ख़ुद उन के हुस्न-ए-कामिल की इहानत हैभला वो और मेरे इश्क़ की तौहीन फ़रमाएँ
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
यही देखा तमाशा जा के हम ने बज़्म-ए-जानाँ मेंकहीं लाश: तड़पता है किसी जा रक़्स-ए-बिस्मिल है
औघट शाह वारसी
कलाम
पुरनम इलाहाबादी
कलाम
हर-चंद गुलिस्ताँ में गुल-अंदाम बहुत हैंख़ुश-क़द नहीं कोई सर्व-ओ-सनोबर के बराबर
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
पर्बत बाँस मँगवा मोरे बाबुल नीके मंडवा छिवाव रेडोलिया फँदाय पिया लै चली हैं अब संग नहिं कोई आव रे