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कलाम
जुनून से कुछ नहीं चारा करे क्या क़ैस बेचाराबरहनः-पा बरहनः-सर फिरे है बन में आवारा
शाह तुराब अली क़लंदर काकोरवी
कलाम
हमेशा हम-बग़ल वो रश्क-ए-लैला है तसव्वुर मेंमेरी आग़ोश गोया ऐ जुनूँ आग़ोश-ए-महमिल है
औघट शाह वारसी
कलाम
कहीं उन्वान बदला है कहीं तर्ज़-ए-बयाँ बदलाअज़ल से ता अबद अफ़्साना-ए-हस्ती कहाँ बदला
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
दो-जहाँ जल्वा-ए-जानाँ के सिवा कुछ भी नहींहम ने कुछ और न देखा तो ख़ता कुछ भी नहीं''
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
ख़ाम की जाणन सार फ़क़र दी महरम नहीं दिल दे हूआब मिट्टी थीं पैदा होए खामी भांडे गिल्ल दे हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
'ज़हीन' अल्लाह को मैं देखता हूँ हुस्न-ए-जानाँ मेंनज़र ख़ुर्शीद के जल्वे मह-ए-कामिल में आते हैं
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
का'बा-ए-दिल उस तरफ़ है क़िब्ल:-ए-जाँ इस तरफ़उस तरफ़ अल्लाह का घर कू-ए-जानाँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
जे जाणें दिल ज़ौक़ मनेसी मौत मरेंदी धाड़े हूचोराँ साधाँ पूर चा भर्या रब्ब सलामत चाढ़े हू
हज़रत सुल्तान बाहू
कलाम
किस तरह ब-ईं हाल उसे यार मैं जानूँनादानी से ये वह्म-ओ-पिन्दार है मेरा