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रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(2) पिंड परे जिव जिस घर जाता। सबद अतीत अनाहद राता।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
आलेख
मीराबाई और वल्लभाचार्य
(2) रेख न रूप बरन जाके नहिं ताको हमै बतावत। अपनी कहौ, दरस ऐसे को तुम कहूँ ही पावत।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
आलेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
सदा रखिए लाल गुलाल हज़रत....(2)
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
महाराष्ट्र के चार प्रसिद्ध संत-संप्रदाय - श्रीयुत बलदेव उपाध्याय, एम. ए. साहित्याचार्य
रचियेलें देवालया।।2।। नामा तथा चा किंकर।
हिंदुस्तानी पत्रिका
आलेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
(2) सोभित कर नवनीत लिए। घुटरुन चलत, रेनु तन मडित, मुख दधि लेप किए।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
दादू- 2. प्रीति जो मोरे पीव की पैठी पिंजर मांहि। रोम रोम पिव पिव करे दादू दूसर नाहिं।।
सम्मेलन पत्रिका
आलेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
वर वेद पुत्थ हत्था, वीणा सुखद्द कमल कर विमण। हरणंखी हंश रूढ़ा, विज्जा वैजंतिया माला।।2।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
नवाब-ख़ानख़ाना-चरितम्- ले. श्री विनायक वामन करंबेलकर
यत्ने संप्रति खानखान नृपते योग्यं तदेवाचर।।2।। सकलगुणपरीक्षणैकसीमा। नरपतिमंडलवन्दनीयधामा।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
मंझनकृत मधुमालती - श्री चंद्रबली पाँडे एम. ए.
(2) नैन बिरह अंजन जिन्ह सारा। बिरह रूप दरपन संसारा।। (3) भाव अनेक बिरह स्यों उपजहिं कुँवर सरीर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
आलेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
जनु अकास टूटै चहुँ ओरा। (155.1-2) (23) 95.7 चहू खड के बर जो ओनाही।
हिंदुस्तानी पत्रिका
आलेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
तिन तनै रविदास दासानदासा। -पद, 2
हिंदुस्तानी पत्रिका
आलेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
(2)मानसिंह कवि विजयगछ वाले की टीका