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पद
मुरली के पद - भई हों बावरी सुन के बाँसुरी
भई हों बावरी सुन के बाँसुरीश्रवण सुनत मेरी सुध-बुध बिसरी
मीरा
पद
तूँ बजावेगी कैसी बाँसुरी अलबेली तू जसोमति छोरी
तूँ बजावेगी कैसी बाँसुरी अलबेली तू जसोमति छोरीएक गोपी नें मुगुट लिया है एक सखी ले गई पामरी
दयालनाथ महाराज
कवित्त
रास लीला - अधर लगाइ रस प्याइ बाँसुरी बजाइ
अधर लगाइ रस प्याइ बाँसुरी बजाइमेरो नाम गाइ हाइ जादू कियौ मन मैं
रसखान
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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
रफ़्त यार व आरज़ू-ए-ऊ ज़े-जान-ए-मन न-रफ़्त
रफ़्त यार व आरज़ू-ए-ऊ ज़े-जान-ए-मन न-रफ़्तनक़्श-ए-ऊ अज़ पेश-ए-चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशान-ए-मन न-रफ़्त
अमीर ख़ुसरौ
पद
होरी के पद - बावरी बन आई तुझे होरी कौन खेलाई
चुँदड़ थारी कुण सरलाईआज धेनु जो दोहावन मैं गई बछवा ले कर आई
मीरा
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हिकायत-ए-ईसा पैग़म्बर अलैहिस-सलाम
ऐब-ए-कसाँ म-निगर-ओ-एहसान-ए-ख़्वेशदीद: फ़रव कुन ब-गरेबान-ए-ख़्वेश
निज़ामी गंजवी
पद
किसन के चरणन की बलिहारी
बिंद्राबन के कुंज गलिन मो खेलत राधा प्यारीजमुना के निर तीर धेनु चरावे बाँसुरी बजावे नंद प्यारी
दयालनाथ महाराज
ग़ज़ल
अब्दुलहादी काविश
पद
कुंजन मध रच्यो रास अद्भुत गत लिए गोपाल
अधर तो सुरंग रंग बाँसुरी सुहाय संगटेढ़ी छवि देख मेरो मन अटक्यो
बैजू बावरा
कवित्त
मुरली प्रभाव - जल की न घट भरै मग की न पग धरै
करियै उपायै बाँस डारियै कटायनाहिं उपजैगौ बाँस नाहिं बाजे फेरि बाँसुरी