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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
अज़ आँ गुलशन गिरफ़्तम शम्मः-ई बाज़
अज़ आँ गुलशन गिरफ़्तम शम्मः-ई बाज़निहादम नाम ऊ रा गुलशन-ए-राज़
मह्मूद शबिस्तरी
ग़ज़ल
ख़ानक़ाह-ए-चिश्त में जिस ने क़दम पहला रखादूसरा उस का क़दम फिर अर्श-ए-बाला पर हुआ
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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फ़ारसी कलाम
अज़ शराब-ए-ग़ौस-ए-आज़म गुलशन-ओ-गुलज़ार मस्तशाख़ मस्त-ओ-मेवः मस्त-ओ-बर्ग मस्त बार मस्त
फ़ाज़िल दीन
फ़ारसी कलाम
ऐ का'बः तलब चंद कुनी क़त-ए’-बयाबाँचूँ काब:-ए-उ’श्शाक़ बुवद रू-ए-मोहम्मद
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
फ़ारसी कलाम
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दिला ख़ाक-ए-रह-ए-कू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौ
बक्कन ख़ाली मसाम अज़ बोए गुल-हा-ए-जहाँ ऐ दिलबया दिल-दादः-ए-बू-ए-मोहम्मद शौ मोहम्मद शौ
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
ग़ज़ल
नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगीकिसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल-लगी होगी
सीमाब अकबराबादी
फ़ारसी कलाम
दर जाँ चु कर्द मंज़िल जानान-ए-मा मोहम्मदसद दर कुशाद दर दिल अज़ जान-ए-मा मोहम्मद