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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
रू ऐ सबा व सलामम ब-दिल-नवाज़ रसाँ
ज़े-नाज़ ईं हम: न-तवाँ फ़रोख़्त बर 'ख़ुसरव'शिकस्तः रा क़द्रे मरहम-ए-नियाज़ रसाँ
अमीर ख़ुसरौ
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गुफ़्तम कि ख़ता कर्दी व तदबीर न ईं बूद
गुफ़्तम ज़े-मन ऐ माह चरा मेहर बुरीदीगुफ़्ता कि फ़लक बा-मन-ए-बद मेहर ब-कीं बूद
हाफ़िज़
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भजन
हर रंग माहिर वारिस प्यारा
हर रंग माहिर वारिस प्याराआपई मस्जिद आपई मुल्ला आपई बाँग पुकारा
नादिम शाह वारसी
पद
रचना रहस्य - गुरु प्यारे चरन रचना की जान
'राधास्वामी' मेहर करें जब अपनी निज स्वरूप बट में दरसान
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
विनय - रंगीले रंग देओ चुनर हमारी
'राधास्वामी' प्यारे मेहर करो अब जल्दी लेव सुधारी
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
भक्ति-स्वरूप - मन मन धुन से भक्ति करो री
'राधास्वामी' मेहर करें अब अपनी भव सागर से सहज तरो री
संत सालिगराम रायबहादुर
ग़ज़ल
मेहर-ए-ख़ूबाँ ख़ाना-अफ़रोज़-ए-दिल-अफ़सुर्दः हैशो'ला आब-ए-ज़ि़ंदगानी-ए-चराग़-ए-मुर्दः है
बेदार मीर मोहम्मद
पद
अपनी बात - सतगुरु पूरे परम उदारा दया दृष्टि से मोहिं निहारा
सुमिरन भजन रसीला लागा सोता मन धुन सुन कर जागामेहर हुई सुरत नभ पर दौड़ी त्रिकुटी जा गुर चरनन जोड़ी
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
कठिन साधना-पथ - गुरु प्यारे का मारग झीना कोह गुरुमुख जाय
मेहर हुई सुर्त अधर सिधारी 'राधास्वामी' हिया निज घर पहुँचाय लिया गोद बिठाय
संत सालिगराम रायबहादुर
पद
अपनी विरह-कथा - मेरे उठी कलेजे पीर घनी
अब तो मेहर करो 'राधास्वामी' चरनन की रहूँ सदा रिनी
संत सालिगराम रायबहादुर
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
फ़ारसी कलाम
ऐ ज़े दर्द-ए-इ’श्क़-ए-तू बीमार-ए-जाँ दारम हनूज़दाश्तम मेहर-ए-तू दर दिल हम-चुनाँ दारम हनूज़
अहमद शाहजहाँपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ हमः इंसाफ़-जूयाँ बंदः-ए-बेदाद तू
ऐ बसा दर हक़्क़ः-ए-जाँ ग़यूरानत कि हस्तना'र:-हा-ए-सर-ब-मुहर अज़ दर्द-ए-बे-फ़रियाद तू
हकीम सनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-ग़ैर अज़ाँ कि बे-शुद दीन-ओ-दानिश अज़ दस्तम
चे ज़र्रा गरचे हक़ीरम म-बीं ब-दौलत-ए-इश्क़कि दर हवा-ए-रुख़त चूँ ब-मेहर पैवस्तम
हाफ़िज़
पद
प्रेम भक्ति गुर धार हिये में आया सेवक प्यारा हो
'राधास्वामी' मेहर से दीन्हा निज पद अगम अपारा हो